Buddha Story in Hindi – मितव्ययिता का संदेश
एक दिन भगवान बुद्ध अपने आसन पर बैठे थे और सामने बैठे अपने शिष्यों के साथ बात कर रहे थे| तभी एक शिष्य ने कहा, महात्मन, मुझे नए अंगरखे की जरूरत है इसके लिए आप मुझे अनुमति दें| बुद्ध ने पूछा, तुम्हारे पुराने अंगरखे का क्या हुआ?
Buddha Story in Hindi
इस पर शिष्य ने कहा, वह बहुत फटा पुराना हो गया है इसलिए मैं उसे अब चादर के रूप में इस्तेमाल कर रहा हूं| बुद्ध ने फिर पूछा पर तुम्हारी पुरानी चादर का क्या हुआ?
Buddha Story in Hindi
इस पर शिष्य ने कहा, महात्मा, वह चादर पुरानी हो गई थी और वह इधर उधर से फट गई थी इसलिए मैंने उसका तकिए का खोल बना लिया है|
महात्मा बुद्ध ने कहा:- बेशक तुम ने तकिए का खोल बना लिया है लेकिन तुम्हारे पास पहले से भी तकिया था| तकिए के उस पुराने खोल का फिर तुमने क्या किया?
अब शिष्य के पास कोई उत्तर नहीं था| उसने कहा, पूज्यवर, तकिया का गिलाफ खींचकर फट गया था| उसमें एक बड़ा छेद भी हो गया था| इसलिए मैंने उसका पायदान बना लिया है| बुद्ध हर चीज की गहराई से तहकीकात कर रहे थे| उन्हें लगा कि यह जवाब भी परखा जाना चाहिए|
उन्हें लगा कि यह जवाब भी उन्हें संतुष्ट नहीं कर रहा है| उन्होंने फिर पूछा तो शिष्य ने कहा, महात्मन, पायदान भी पैर रगड़ते रगड़ते फट गया था| इसलिए मैंने उसको इकट्ठा करके उसकी एक बाती बनाई और फिर उसको तेल में डालकर जलाया|
शिष्य की यह बात सुनकर बुद्ध मुस्कुराए और फिर उन्होंने शिष्य को एक नया अंगरखा भेंट किया|
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