Panj Pyare Story in Hindi
मुगलों के शासन के दौरान औरंगजेब का आतंक बढ़ता ही जा रहा था और अपने पिता गुरु तेग बहादुर के बलिदान जैसी घटना ने गोविंद राय (गुरु गोविंद सिंह) के मन को झकझोर कर डाला था| उन्होंने संकल्प लिया कि समय आने पर वह पीड़ितों की रक्षा करने के लिए सिंहो के समान निर्भीक, बहादुर लोगों का खालसा पंथ स्थापित करेंगे|
Panj Pyare
इसके लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी के पावन पर्व पर आनंदपुर साहिब के विशाल मैदान में सिख समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया|उनके आह्वान पर हजारों सिख इकट्ठे हो गए| गुरु गोविंद सिंह के हाथ में नंगी तलवार चमक रही थी|
उन्होंने तलवार को लहराते हुए घोषणा की:- “आज धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए मुझे पांच ऐसे बंदे चाहिए जो अपना सिर कटवा सकें| उनकेबलिदान से ही हम धर्म दीन दुखियों की रक्षा कर सकेंगे”|
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गुरु गोविंद सिंह की इस बात को सुनकर वहां मौजूद सभी सिख आश्चर्यचकित हो गए और पूरे मैदान में सन्नाटा छा गया|लाहौर निवासी भाई दया राम सबसे पहले खड़े हुए और बोले:- “गुरुदेव, आप मेरा सिर ले सकते हैं”|
गुरु गोविंद सिंह दयाराम को तंबू के अंदर ले गए और कुछ देर बाद तंबू से खून से सनी हुई तलवार को लेकर बाहर आए| यह नजारा देखकरसभी लोग हैरान परेशान हो गए| वहां पर उपस्थित सिखों ने यह समझ लिया कि दयाराम के सिर की बलि दी जा चुकी है|
गुरु गोविंद सिंह बोले:- “अभी यह तलवार प्यासी है”| इस बार धर्मदास, जो कि सहारनपुर के रहने वाले थे| गुरुदेव के समक्ष जाकर खड़े हो गए और बोले:- “इस देश की रक्षा के लिए मैं अपने सिर की कुर्बानी के लिए तैयार हूं, गुरुदेव”|
गुरुदेव उन्हें भी तंबू में ले गए और फिर खून से सनी हुई तलवार लेकर बाहर निकले और उन्होंने फिर से तीन और सिरों की मांग की| फिर बारी बारी से हिम्मत राय, मोहकम चंद और साहिब चंद ने अपने-अपने शीश पेश किये| किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है| तभी गुरु गोविंद सिंह उन पांचों नौजवानों को लेकर तंबू से बाहर आए और कहा कि मैं इन्हें तंबू में इसलिए नहीं ले गया था कि मुझे इनके शीश चाहिए| बल्कि यह इनकी परीक्षा थी|
उस मैदान में उपस्थित सभी सिखों के सामने गुरुदेव ने ऐलान किया कि आज से ये साहसी नौजवान ही मेरे पंज प्यारे (Panj Pyare) हैं|इस तरह से गुरु गोविंद सिंह को पंज प्यारे (Panj Pyare) मिले, जिन्होंने बाद में अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष किया और बाकीलोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने|