Desh Bhakti Kavitayen
Poem on Patriotism in Hindi #1
मातृभूमि तेरे चरणों में
अपना शीश झुकाऊं
सुन पुकार हंस बलबेदी पर
अपने प्राण चढ़ाऊँ
जीवन का उद्देश्य तुम्हारा कण कण हरा बनाना
तन मन धन कर अर्पित, तेरा अनुपान रूप सजाना
कर परास्त तेरे रिपुओं को
निज कर्तव्य निभाऊं |
करू श्रेष्ठ संपन्न विश्व में
तुम्हे महान बनाऊं ||
डॉ० चक्रधर नलिन
Poem on Patriotism in Hindi #2
ओ! भारत के वीर सिपाही
कभी ना तुम घबराना
पर्वत नदिया और समंदर
पार सभी कर जाना
जब दुश्मन आता सीमा पर
उसको मार भगाते
फिर न लौटकर वापस आये
ऐसा सबक सिखाते
नहीं किसी से डरना सीखा,
ऐसे तुम मतवाले
गर्व करे तुम पर भारत माँ
भारत के रखवाले ||
डॉ० परशुराम शुक्ल
Desh Bhakti Kavitayen Hindi me
अपने प्राणों से बढ़कर है प्यारा हमें तिरंगा
इसकी लहर लहर पावन है जैसी पावन गंगा|
तीन रंग की छाया में है
भारत देश के जागे
इसको उठता देख
फिरंगी गोरे दुश्मन भागे
इसकी शान में सब कुछ खोकर
इसका मान बढ़ाएं
जब भी समय पुकारे हमको,
इस पर शीश चढ़ाएं|
Poem on Patriotism in Hindi #4
तीन रंग से बना तिरंगा, लहर लहर लहराता है
नई शक्ति भरता तन मन में, नई चेतना लाता है
केसरिया रंग इसका हमको, बलिदानों की याद दिलाता|
मध्य भाग का धवल श्वेत रंग
विश्व शांति का पाठ पढ़ाता
हरा रंग विश्वास वीरता का संदेश सुनाता है
नई शक्ति भरता तन मन में, नई चेतना लाता है ||
डॉ० परशुराम शुक्ल
Desh Bhakti Kavitayen in Hindi #5
तुमको अपनी मां प्यारी है,
मां को भी तुम प्यारे हो|
उसके दिल के टुकड़े हो तुम,
सूरज चांद सितारे हो|
पर मां से भी बढ़कर है जो,
मातृभूमि है वह प्यारी|
उन दोनों का कर्ज चुकाने,
की तुम पर जिम्मेदारी|
तुम्हें बड़ा करने में दोनों,
की ही बड़ी भूमिका है,
दूजा हक़ तुम पर माँ का,
पर पहला मातृभूमि का है ||
उषा यादव
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Very good poem
Sir आप बहुत अच्छा लिखते हो आपका आर्टिकल पड़ने के बाद तो मजा ही आ जाता है। ऐसे ही लिखते रहिये आप बहुत आगे जाओगे क्योकि आपमे हो हुनर है जो हर किशी के पास नही होता है
उषा यादव जी की कविता दिल को छू गई ।
i like this poem. sir ji
Nice Information Sir
nice stori sar