एक बार एक महिला अपने कुछ दोस्तों के साथ होटल में खाना खाने गई| होटल कोई ज्यादा बड़ा नहीं था| यह है ढाबे जैसा था|सब लोग बैठ गए और खाना खाने लगे|
तभी कहीं से एक कॉकरोच उड़कर उस महिला के कंधे पर आकर बैठ गया बस फिर क्या था महिला चीखने चिल्लाने लगी|
उसे देखकर उसके दोस्त ही नहीं बल्कि होटल के और लोग भी चिल्लाने लगे|
महिला की चीख पुकार और उछल-कूद देखकर कॉकरोच ने फिर उड़ान भरी और इस बार दूसरी टेबल पर बैठी एक महिला के कान पर जाकर बैठ गया| पिछली बार की तरह इस बार भी महिला चीखने चिल्लाने लगी|
वहीं पीछे एक वेटर खड़ा था जो सब कुछ देख रहा था| जब तक वह कुछ समझता, कॉकरोच फिर से उड़कर वेटर की नाक पर जाकर बैठ गया| लेकिन वेटर नहीं चिल्लाया वह एकदम स्थिर होकर खड़ा हो गया और उसने कॉकरोच को भी स्थिर किया|फिर धीरे से उसने अपना हाथ उठाया और कॉकरोच को हाथ से पकड़ कर होटल के बाहर फेंक दिया|
अब सोचने वाली बात यह है कि केवल कॉकरोच कि किसी के ऊपर बैठ जाने से होटल में इतनी हलचल मच गई| लेकिन कॉकरोच तो वेटर के ऊपर भी बैठा था| लेकिन वह एक दम शांत था और समस्या का हल निकाला|
अगर वेटर भी घबरा जाता और चीखने चिल्लाने लगता तो वह भी स्थिति को काबू नहीं कर पाता और समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाता|
इस कहानी से यही सारांश निकलता है कि हमारी सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि हम चुनौतियों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं|
सीख:-
चुनौती नहीं, उसके प्रति प्रतिक्रिया हमें सफल या विफल बनाती है
कथा पढ़कर ये सिखने को मिला की परिस्थिति जो भी आती है उसके ऊपर हम किस तरह से प्रतिक्रिया देते है |
कितनी भी चुनोतिया आये अगर हम स्थिर रहेंगे तो हम आगे जा सकते है
Ap aise hi likhte Rahe aur hum sb ko aise hi Sikh dete Rahe.
Thanku ❤️